सोलन: सोलन जिला के कुनिहार में भगवान भोले नाथ की शिव तांडव गुफा सालों से श्रद्धा और भक्तिभाव का केंद्र बनी हुई है। शिव तांडव गुफा कुनिहार का प्राचीनतम इतिहास है। गुफा के अंदर गाय के थनों के आकार की चट्टानों से कभी शिवलिंग पर दूध गिरता था लेकिन बाद में पानी गिरना शुरू हो गया। प्रकृति से हो रही छेड़छाड़ का ही परिणाम है कि अब इन चट्टानों से पानी गिरना भी बंद हो गया है। मान्यता है कि यहां पर शिव भगवान ने कठिन तप किया था।
शिव तांडव गुफा बस स्टैंड कुनिहार से केवल आधा किमी. दूरी पर स्थित है। यह गुफा शिमला-नालागढ़ सडक़ मार्ग पर शिमला से पश्चिम दिशा की ओर मात्र 40 किमी. की दूरी पर है। सोलन से बिलासपुर सडक़ मार्ग के मध्य केवल 40 किमी.की दूरी पर एवं जुब्बड़हट्टी हवाई अड्डे से 20 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहां आने के लिए यातायात की सुविधाएं सुगमता के साथ उपलब्ध हैं।
शिमला जाते हुए संकट मोचन मंदिर पड़ता है जिसे बहुत मान्यता है। जो लोग शिमला आये हैं उनको जरूर पता होगा कि संकट मोचन मंदिर कितना प्रसिद्ध मंदिर है। ठीक उसी के सामने हाईवे के पास आपको वैष्णो देवी गुफा के नाम से बोर्ड दिखाई देगा बीएस उन्हीं सीढ़ियों से आपको ऊपर चढ़ना है जहां आपको प्राचीन गुफा दिखेगी, कहा जाता है कि यहां भी वैष्णो देवी जो कि जम्मू के कटरा में है वही वैष्णो देवी स्थापित है या आपको बता दे कि यह भी तीनो देवी पिंडियों के रूप में स्थापित है, या इसकी भी कटरा वाली वैष्णो देवी जैसी ही मान्यता है, आज हम आपके अपने चैनल के माध्यम से इस गुफा के रोचक तथियो के बारे में बताएँगे, याद रखना आप लोग जब भी आप लोगो का शिमला आना हो तो आप लोग माता वैष्णो देवी के दर्शन करें ज़रूर करे.
यहां एक गुफा है जिसमे एक लगतार पानी आता रहता है, जब आप इस गुफा में प्रवेश करेंगे तो आपको वही एहसास होगा जो आपको कटरा वाली वैष्णो देवी गुफा का होता है, यहां गुफा में मां काली, मां सरस्वती, या मां लक्ष्मी की पिंडियां ही विराजमान है. यहां आप दर्शन का लाभ ले सकते हैं यहां एक पंडित जी भी हैं उनके द्वारा हम आपको इसका इतिहास बताएंगे।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि हरिद्वार के स्वामी अर्जुन गुरु जी महाराज के सपने में मां वैष्णो देवी आई थी उसके बाद उन महाराज ने इस पहाड़ की खुदाई कराई 135 फुट खोदने के बाद यहां मां काली, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती की पिंडियां प्राप्त हुई जैसे वैष्णो देवी कटरा में है वही प्रतिरूप माता का यहां विराजमान है, इस मंदिर की बहुत मान्यता है माँ उसकी झोली भरती है जो उसके द्वार आकर प्रार्थना करता है, नवरात्रो में यहां साधु संतो द्वारा पूजा अर्चना की जाती है, उसके बाद यहां भंडारे का भी आयोजन किया जाता है, यहाँ दूर- दूर से लोग आते हैं और धर्म लाभ उठाते हैं, माँ का आशीर्वाद पाते हैं.
आप शिमला सड़क मार्ग से जाते हैं तब ये मंदिर आपको हाईवे पर दिखाई देता है. आप अपनी गाड़ी को सड़क के किनारे लगा कर आराम से दर्शन कर सकते हैं. वही सड़क से सीडियां है बस उनको इस्तेमाल करके आप मंदिर तक पहुंचें, और दर्शन का लाभ ले. यदि आप बस से आ रहे हैं तब आपको लोकल बस में संकट मोचन आना होगा, ठीक उसी के सामने आपको वैष्णो देवी का बोर्ड दिखेगा, आपको सड़क पार करके मंदिर जाना होगा ।
शिमला जाते हुए संकट मोचन मंदिर पड़ता है जिसे बहुत मान्यता है। जो लोग शिमला आये हैं उनको जरूर पता होगा कि संकट मोचन मंदिर कितना प्रसिद्ध मंदिर है। ठीक उसी के सामने हाईवे के पास आपको वैष्णो देवी गुफा के नाम से बोर्ड दिखाई देगा बीएस उन्हीं सीढ़ियों से आपको ऊपर चढ़ना है जहां आपको प्राचीन गुफा दिखेगी, कहा जाता है कि यहां भी वैष्णो देवी जो कि जम्मू के कटरा में है वही वैष्णो देवी स्थापित है या आपको बता दे कि यह भी तीनो देवी पिंडियों के रूप में स्थापित है, या इसकी भी कटरा वाली वैष्णो देवी जैसी ही मान्यता है, आज हम आपके अपने चैनल के माध्यम से इस गुफा के रोचक तथियो के बारे में बताएँगे, याद रखना आप लोग जब भी आप लोगो का शिमला आना हो तो आप लोग माता वैष्णो देवी के दर्शन करें ज़रूर करे.
यहां एक गुफा है जिसमे एक लगतार पानी आता रहता है, जब आप इस गुफा में प्रवेश करेंगे तो आपको वही एहसास होगा जो आपको कटरा वाली वैष्णो देवी गुफा का होता है, यहां गुफा में मां काली, मां सरस्वती, या मां लक्ष्मी की पिंडियां ही विराजमान है. यहां आप दर्शन का लाभ ले सकते हैं यहां एक पंडित जी भी हैं उनके द्वारा हम आपको इसका इतिहास बताएंगे।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि हरिद्वार के स्वामी अर्जुन गुरु जी महाराज के सपने में मां वैष्णो देवी आई थी उसके बाद उन महाराज ने इस पहाड़ की खुदाई कराई 135 फुट खोदने के बाद यहां मां काली, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती की पिंडियां प्राप्त हुई जैसे वैष्णो देवी कटरा में है वही प्रतिरूप माता का यहां विराजमान है, इस मंदिर की बहुत मान्यता है माँ उसकी झोली भरती है जो उसके द्वार आकर प्रार्थना करता है, नवरात्रो में यहां साधु संतो द्वारा पूजा अर्चना की जाती है, उसके बाद यहां भंडारे का भी आयोजन किया जाता है, यहाँ दूर- दूर से लोग आते हैं और धर्म लाभ उठाते हैं, माँ का आशीर्वाद पाते हैं.
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