शिकारी देवी मंदिर(मंडी) हिमाचल प्रदेश 

नमस्कार, मैं हूं आपका मेजबान या दोस्त #अविरल जैन। आपका घूमोग भरके ब्लॉग में स्वागत करता हूं। माई #अविरल जैन अपने इस ब्लॉग के जरिए देश के ऐसे अनछुई जगहो को देखना चाहता हूं। जो भारत देश के इतिहास को याद करता है आज भी अपने में समाये हुए है। भारत का इतिहास था कहानी देखना चाहता हूँ। #यात्रा के वीडियो देखने के लिए अभी #ghumog.com को सब्सक्राइब करें.

शिकारी देवी का रोचक इतिहास:-

शिखर की पहाड़ियों पर स्थित मां शिकारी देवी के मंदिर पर आज भी छत नहीं है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण पंडितों ने करवाया था। माना जाता है कि मार्कंडेय ऋषि ने इस जगह पर कई साल तपस्या की थी। उनकी तपस्या से खुश होकर माता दुर्गा अपने शक्ति स्वरूप में यहां स्थापित हुई थी। वहीं, बाद में अज्ञात वास के दौरान पांडवों ने भी यहां तपस्या की थी। कहते हैं, पांडवों की तपस्या से खुश होकर मां ने उन्हें विजय होने का आर्शीवाद दिया था। उसी समय पांडवों ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया, लेकिन किसी कारण इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका और पांडव यहां पर मां की पत्थर की मूर्ति स्थापित करने के बाद चले गए।

शिकारी देवी:-

देवभूमि हिमाचल पर स्थित शिकारी देवी मां का मंदिर काफी प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर माना जाता है. ये मंदिर सराज घाटी पर स्थित है और बताया जाता है कि सर्दियों के मौसम में यहां 6-7 फीट तक बर्फ गिरती है. लेकिन यह भारी बर्फ माता के मंदिर की मूर्तियों पर नहीं टिक पाती है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस मंदिर की छत नहीं है. देवी मां यहां खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं. इसके अलावा मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इन मंदिर में देवी मां से मुराद मांगता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है. इसका बड़ा उदहारण लोकसभा चुनाव में देखने को मिल रहा है. इस मंदिर में विक्रमादित्य सिंह मत्था टेकने पहुंचे. कई बार की गई छत डालने की कोशिशयहां रहने वाले लोगों का कहना है कि मंदिर की छत को कई बार डालने की कोशिश की गई, लेकिन माता की आज्ञा नहीं मिली. कहा जाता है कि यहां माता रानी खुले आसमान के नीचे रहना पसंद करती हैं. छत डालकर मंदिर के भीतर रहना पसंद नहीं करतीं| कि शिकारी देवी मंदिर की मूर्तियां दीवारों पर ही स्थापित हैं और पत्थरों की एक मचान पर प्रतिमाएं स्थापित हैं. यहां नवरात्रि के दौरान भक्तों का सैलाब उमड़ता है. मंदिर में माता की नवदुर्गा मूर्ति, चामुंडा, कमरूनाग और परशुराम की मूर्तियां हैं.

11000 फीट ऊंचाई पर स्थित है मंदिर:-

शिकारी माता का ये प्रसिद्ध मंदिर करीब 11000 फीच ऊंचाई पर स्थित है. अगर आप यहां आने का प्लान बना रहे हैं तो मई से सितंबर के बीच ना आएं क्योंकि इस समय यह बर्फ से ढका हुआ रहता है.

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प्राचीन मंदिर है जो घने जंगल में स्थित है। यह पहाड़ी की चोटी पर हरे-भरे पेड़ों, चीड़ और स्प्रूस से घिरा हुआ है। चोटी का शांत दृश्य है। यह 11000 फीट की ऊंचाई पर इस क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटी है.....

कैसे पहुंचें:-

हवाई :-
जंजेहली से निकत्तम एयरपोर्ट लगभग 118 किलोमीटर की दूरी पर भुंतर जिला कुल्लू , हिमाचल प्रदेश में स्थित है |


 

ट्रेन :-
जंजेहली से निकत्तम रेल संपर्क जोगिन्दर नगर, जिला मंडी हिमाचल प्रदेश में लगभग 152 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है |



सड़क:-
सड़क मार्ग द्वारा चंडीगढ़ – मनाली राष्ट्रिय उच्च मार्ग पर स्थित नेरचौक स्थान से जाया जा सकता है |

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