शिरडी का साईं धाम देशभर में आस्था का एक बड़ा केंद्र है. महाराष्ट्र में अहमदनगर जिले के शिरडी में साईं बाबा (Shirdi Sai Baba) का मंदिर है, जिसकी देखरेख श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट करता है. इस मंदिर में लाखों रुपये का चढ़ावा हर साल चढ़ता है. यह मंदिर देश के सबसे धनी मंदिरों में से एक है. देश के अनेक हिस्सों से शिरडी धाम पहुंचने के लिए बस, ट्रेन और हवाई सुविधाएं हैं. आज भारत की पहली प्राइवेट ट्रेन शिरडी आने वाली है, जो कोयंबटूर से आ रही है. आइए जानते हैं शिरडी साईं धाम के बारे में महत्वपूर्ण बातें…
शिरडी का इतिहास
सर्वप्रथम आपको यह बता दें कि ‘ शिरडी ‘ को मराठी में ‘ शिर्डी ‘ कह कर सम्बोधित करते है। हमने दोनों नाम का बराबर प्रयोग किया है ताकि आप कभी सन्देह में न आये।
यह नगर भारत के महाराष्ट्र राज्य में अहमदनगर ज़िला के “रहाता तहसील” के अंतर्गत आने वाला एक कस्बा (पहले गांव था) हैं।
शिरडी, अहमदनगर-मनमाड राज्यमार्ग(State Highway No. 10) पर स्थित है। यह नगर मनमाड से 65 KM जबकि ज़िला मुख्यालय अहमदनगर से 80 KM की दूरी पर अवस्थित हैं।
अगर वास्तव में कहूं तो यह नगर मुख्य रूप से साईं बाबा के समाधि मंदिर के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध और ख्याति प्राप्त हैं। इसीलिए इस नगर का दूसरा नाम – साईंनगर शिरडी(शिर्डी) हैं।
साईं बाबा समाधि स्थल मंदिर
अगर ये कहा जाये कि शिरडी नगर की पहचान साईं बाबा के मंदिर के कारण है, तो गलत नही होगा। आज वर्तमान में लाखो की संख्या में भक्त साईं बाबा के समाधि स्थल मन्दिर में दर्शन करने आते है। हज़ारों की संख्या में होटल, धर्मशाला तथा साईं संस्थान की ओर से ठहरने के लिये विश्व स्तर पर व्यवस्था की गई हैं।
संत शिरोमणि श्री साईं बाबा के लिये दो शब्द-
साईं बाबा भारतीय संत और गुरु मूलतः शिरडी के रहने वाले नही थे। बाबा श्री के जन्म और स्थान को ले कर कई भ्रांतियां है। एक दम सटीक बताना की उनका जन्म कब हुआ है? ये बहुत ही मुश्किल कार्य है। सर्वसम्मति यह कह सकते है कि बाबा जी का जन्म तिथि अज्ञात है।
कुछ लोगो का यह मानना है कि साईं बाबा का जन्म “हैदराबाद राज्य” (वर्तमान में हैदराबाद तेलंगाना की राजधानी है) के “पाथरी ग्राम” में हुआ था।
14 से 16 वर्ष की अवस्था में बाबा जी अहमदनगर के शिर्डी गांव में आकर अपनी कुटिया (चावड़ी) में अपना निवास बना लिये।
कुछ लोगो का यह भी मानना है कि इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, परन्तु माता-पिता कौन थे ये भी बता पाना मुश्किल है।
मुस्लिम धर्म इन्हें मुसलमान फ़कीर तो हिन्दू धर्म इन्हें हिन्दू संत मान कर इनकी पूजा करने लगे। इनके किये जाने वाले कार्य और करिश्मा या चमत्कार के किस्से शिर्डी के साथ ही पूरे अहमदनगर में चर्चा का विषय बनने लगा-
क्योंकि समस्या कैसी भी हो?, उसका निदान बाबा चुटकी बजा कर कर देते थे और साथ ही साथ ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा का संदेश जन मानस में पहुँचाने लगे।
दिन-प्रतिदिन इनके भक्तो की संख्या बढ़ने लगी और इनके प्रति आस्था लोगो के मध्य इतना बढ़ गया कि साईं बाबा को ईश्वर या भगवान का दर्जा दे दिया गया। खास तौर से वर्तमान में तो युवा वर्ग की पहली पसंद बन गये हैं।
साईं नाम से नामकरण भी इन्हें शिर्डी में ही हुआ था। इनकी मृत्यु 15 अक्टूबर, 1918 को शिरडी गांव में ही हुआ था।
जिस स्थान पर इनकी मृत्यु हुई हैं, आज वहाँ पर समाधि बना कर भव्य मंदिर की स्थापना की गई हैं और आज शिरडी में जो भी भीड़ हो रही हैं वह साईं बाबा के समाधि दर्शन के लिए हो रही है, जो दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
आज श्री साईं बाबा समाधि मन्दिर भारत के अमीर मन्दिरों में शुमार हो चुका है। साईं बाबा भक्ति, योग, सूफी और कर्म में विश्वास करने वाले एक महान संत है।
आपको यहाँ मैं व्यक्तिगत रूप से यह बताना चाहता हु कि “एक महान संत हैं” से अर्थ हैं कि कोई भी दिव्य पुरुष या संत की मृत्यु नही होती है वरन वे हमेशा के लिये अमर हो जाते है, जिसे मानने वाले आज भी उनके पद चिन्हों पर तथा उनके उपदेशों को मानते हैं और अपने जीवन को सफल बनाते हैं।
प्रसाद
यहाँ बाबा का दर्शन और आरती पूजन के बाद प्रसाद के रूप में बूंदी के लड्डू, खिचड़ी, बाबा की उदी इत्यादि मिलता है।
आरती का समय
बाबा जी का मन्दिर भोर में 4:00 बजे दर्शन के लिए खोल दिया जाता है और रात्रि में 10:30 के बाद मन्दिर का पट बन्द कर दिया जाता है।
श्री साईं बाबा मंदिर में आरती का समय
- भूपाली आरती- 4:15 बजे (At Morning)
- काकड़ आरती- 4:30 (At Morning)
- मध्यान आरती- 12:00 बजे (At Noon)
- धूप आरती- सूर्यास्त के बाद (At Evening)
- सेज आरती- 10:30 बजे (At Night)NOTE-ध्यान देने योग्य बात है कि विगत वर्षों में मन्दिर (समाधि स्थल) के दर्शन के लिए सबसे जरूरी बात यह हैं कि-
- अपना एक ID PROOF जैसे- आधार कार्ड, वोटर कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या अन्य कोई केंद्रीय या राज्य स्तरीय पहचान पत्र इनमें से कम से कम एक होना चाहिये। ताकि मन्दिर परिसर में प्रवेश करने से पहले- पर्ची काउंटर से उपरोक्त पहचान पत्र के आधार पर प्रवेश पर्ची (ENTRY PASS) जरूर बनवा ले। यह पर्ची ट्रस्ट की ओर से पूरी तरह से निःशुल्क बनती है।
- जो भी भक्त 8 वर्ष से ऊपर के हो, वे चाहे पुरुष हो या फिर महिला मन्दिर में प्रवेश करने के लिए उनके परिधान अर्थात पहने हुए कपड़े खास तौर से नीचे वाले सभी कपड़े घुटने से नीचे ऐड़ी तक के पहने हुए होने चाहिये।जैसे कि हाफ पैंट, कैप्री, स्कर्ट, हाफ जीन्स या अन्य कोई भी वस्त्र पुरुष और महिलाओं को जो अधूरे और टाइट फिटिंग के हो नही पहने हुए होने चाहिए। आप पैजामा, धोती, पूरा पैंट, साड़ी, पैजमी, इत्यादि जैसे पूरे कपड़े से ढके होने वाले ही वस्त्र पहने हुए चाहिये। यदि ऐसा नही करते है तो आप को प्रवेश द्वार पर ही रोक दिया जा सकता हैं।इस प्रकार दर्शन के लिए मामूली सा नियमो में बदलाव किया गया हैं, जरूर से ध्यान दे क्योंकि हम नही चाहते है कि कोई समस्या आये और आपकी यात्रा में बाधा बन जाये।
बाबा की पालकी
प्रत्येक गुरुवार को शाम में बाबा की पालकी निकाली जाती है, जिसमें हज़ारो लोग शामिल होते है। इस पालकी को शिरडी नगर में घुमा कर द्वारकामाई लाया जाता है। आपको हम यह बता दे कि साईं बाबा का विशेष दिन गुरुवार(बृहस्पतिवार) को कहते हैं।
हिन्दू मान्यता और सनातन धर्म में साधु, गुरु या संतो के विशेष पूजा के लिए बृहस्पतिवार(गुरुवार) के दिन की मान्यता होती है।
शिरडी में दर्शन किये जाने वाले अन्य स्थान
द्वारकामाई
बाबा की समाधि के निकट में ही द्वारकामाई की चावड़ी है, जहाँ बाबा जी विश्राम किया करते थे।
अब्दुल्ला बाबा का मज़ार
साईं बाबा के समाधि मन्दिर के कैम्पस में ही अब्दुल्ला बाबा की मज़ार है, यह साईं बाबा के प्रिय भक्त में शुमार थे।
साईं बाबा संग्रहालय
बाबा के जीवन पर आधारित संग्रहालय है, जहाँ बाबा जी से सम्बंधित वस्तुओं और उपदेशों का तथा बाबा जी पर लिखी गई पुस्तकों का जिक्र किया गया है।
प्रसादालय
समाधि से 1 से 1.5 KM की दूरी पर प्रसादालय है, जहाँ कम से कम एक बार मे 10000 लोग आराम से भोजन ग्रहण कर सकते है। यह भोजनालय ट्रस्ट की ओर से संचालित होता है।
सभी को भोजन मिले इसके लिए ट्रस्ट की ओर से मामूली रुपये का कूपन दिया जाता है। कभी कभी कोई भक्त भोजनालय में दान करता है तो वो भी कूपन फ्री हो जाता है।
शिरडी से अलग दर्शनीय स्थल
शिरडी और उसके आस पास घूमने के लिए बहुत सारे अद्भुत स्थान है जिसे आप आसानी से देख सकते हैं क्योंकि यहाँ यातायात कोई समस्या नहीं है इस लिए आपको इन स्थानों को घूमने के भी कोई परेशानी नहीं होगी।
शनि शिंगणापुर
शिर्डी से मात्र 72 KM की दूरी पर शनि भगवान का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। अगर आप शिरडी जाए तो शनि भगवान का दर्शन करने के लिए शनि शिंगणापुर जरूर जाये।
नासिक
शिरडी से मात्र 90 KM की दूरी पर प्राचीन नगरी नासिक है, जो गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। यहाँ पर प्रत्येक 12 वर्ष पर महाकुंभ मेला लगता है। बाकी यहाँ पंचवटी और राम लक्ष्मण सीता मन्दिर प्रसिद्ध हैं
शिर्डी कब जाये?
आप शिर्डी कभी भी जा सकते है, परन्तु मई और जून में ज्यादा गर्मी पड़ती है तो जुलाई से अप्रैल तक कभी भी जा सकते है।
एक बात का ध्यान जरूर दे कि यदि भीड़ से बचना चाहते है तो शिर्डी गुरुवार यानी बृहस्पतिवार को कभी न जाये मंदिर में दर्शन के लिये क्योंकि और दिन के अपेक्षा भक्तों की भीड़ रहती हैं।
किसी भी त्योंहार के दिन जैसे होली, दशहरा, दीपावली, महाशिवरात्रि, रक्षाबंधन , गुरुपूर्णिमा या 1 जनवरी (Happy New Year) के दिन जाने से बचें क्योंकि इन दिनों में भी भीड़ होती है।
समीप का रेलवे स्टेशन
शिरडी के नज़दीक का रेलवे स्टेशन ‘साईंनगर शिर्डी’ मात्र 3 KM की दूरी पर जबकि 15 KM की दूरी पर दूसरा रेलवे स्टेशन ‘कोपरगाँव’ है, चूंकि ये दोनों स्टेशन छोटे है। यह दोनों स्टेशन मनमाड-पूणे रेल मार्ग पर स्थित हैं और यहाँ प्रमुख ट्रेनों का ठहराव हैं।
शिर्डी नगर से सबसे नजदीक में बड़ा रेलवे स्टेशन मनमाड जंक्शन हैं, जो हावड़ा-पटना-इटारसी-भुसावल-मुम्बई रेल मार्ग पर स्थित है।
यहाँ सभी ट्रेनों का ठहराव हैं। यहाँ से आप टैक्सी या बस से आसानी से शिर्डी पहुँच सकते है। अगर बात करें समीप के हवाई अड्डे की तो पुणे और मुम्बई है।