महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन के बारे में पूरी जानकारी – Mahakaleshwar Jyotirlinga Ujjain In Hindi

Mahakal Temple Ujjain In Hindi :

महाकालेश्वर मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है जो मध्य प्रदेश राज्य में रुद्र सागर झील के किनारे बसे प्राचीन शहर उज्जैन में स्थित है जो हिंदुओं के सबसे पवित्र और उत्कृष्ट तीर्थ स्थानों में से एक है। इस मंदिर में दक्षिण मुखी महाकालेश्वर महादेव भगवान शिव की पूजा की जाती है। महाकाल के यहां प्रतिदिन सुबह के समय भस्म आरती होती है। इस आरती की खासियत यह है कि इसमें मुर्दे की भस्म से महाकाल का श्रृंगार किया जाता है। इस जगह को भगवान शिव का पवित्र निवास स्थान माना जाता है। यहां पर आधुनिक और व्यस्त जीवन शैली होने के बाद भी यह मंदिर यहां आने वाले पर्यटकों को पूरी तरह से मन की शांति प्रदान करता है।

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह एक अत्यंत पुण्यदायी मंदिर है। माना जाता है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर फेमस क्यों है- Why Is Mahakaleshwar Mandir Ujjain is Famous In Hindi

उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर, रुद्र सागर झील के किनारे स्थित है। महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। भगवान शिव का यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है जिसको भगवान शिव का सबसे पवित्र निवास स्थान माना जाता है। भगवान शिव मंदिर के प्रमुख देवता हैं जो लिंगम रूप में वहां मौजूद हैं।

महाकालेश्वर मंदिर को भारत के टॉप 10 तंत्र मंदिरों में से एक माना जाता है। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ भस्म-आरती (राख की रस्म) की रस्म निभाई जाती है। यह आरती रोज़ भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है। भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए दुनिया के विभिन्न कोनों से लोग मंदिर में आते हैं।

 महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास – Mahakaleshwar Temple History In Hindi

 

महाकालेश्वर के इतिहास के बारे में बात करें तो, बता दें कि सन 1107 से लेकर 1728 तक उज्जैन में यवनों का शासन रहा था। इस शासन काल में लगभग हिंदुओं की प्राचीन परम्पराएं लगभग नष्ट हो गई थी। इसके बाद मराठो ने 1690 में मालवा क्षेत्र में हमला कर दिया था। फिर 29 नवंबर 1728 में मराठा शासकों ने मालवा में अपना शासन कर लिया था। इसके बाद उज्जैन की खोया हुआ गौरव और चमक फिर से वापस आई इसके बाद यह साल 1731 से 1728 के बाद यह मालवा मालवा की राजधानी बनी रही। मराठो के अधिपत्य के समय यहां पर 2 बड़ी घटनाए हुई। पहली घटना यह थी कि पहले यहां पर स्थित महाकालेश्वर मंदिर का फिर से निर्माण किया गया और ज्योतिर्लिंग की ख़ोई हुई प्रतिष्ठा वापस मिली। इसके अलावा यहाँ सिंहस्थ पर्व स्नान की स्थापना की गई जो बेहद खास उपलब्धि थी। आगे चलकर इस मंदिर का विस्तार राजा भोज द्वारा किया गया।

महाकालेश्वर मंदिर का रहस्य और कहानी – Mystery And Story Of Mahakaleshwar Temple In Hindi

 

उज्जैन आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक, महाकालेश्वर मंदिर के रहस्य और कहानी के बारे में जानने में काफी रूचि रखते हैं। आपके मन में भी उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के इतिहास को लेकर काफी सवाल होंगे। तो चलिए आपको इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी देते हैं।

पुराण के अनुसार एक बार भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच इस बात को लेकर बहस हुई थी, कि सृष्टि में सर्वोच्च कौन है। उनका परीक्षण करने के लिए भगवान शिव ने तीनों लोकों में प्रकाश के एक अंतहीन स्तंभ को ज्योतिर्लिंग के रूप में छेदा और इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा क्रमशः प्रकाश के अंत का पता लगाने के लिए, स्तंभ के साथ नीचे और ऊपर की ओर यात्रा करते हैं। लेकिन ब्रह्मा जी झूठ बोल देते हैं कि उन्हें अंत मिल गया और विष्णु हार मान लेते हैं। फिर शिव प्रकाश के स्तंभ के रूप में प्रकट होते हैं और ब्रम्हा जी को श्राप देते हैं कि उनका किसी भी समारोहों में कोई स्थान नहीं होगा, जबकि विष्णु जी की अनंत काल तक पूजा होगी।

ज्योतिर्लिंग वो जगह है जहाँ भगवान शिव प्रकाश के रूप में प्रकट हुए थे। बारह ज्योतिर्लिंग स्थलों में से प्रत्येक में शिव के अलगअलग नाम हैं। इन सभी ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव का अलगअलग स्वरुप माना जाता है। इन बारह ज्योतिर्लिंग में गुजरात का सोमनाथ, आंध्र प्रदेश के श्रीसैलम का मल्लिकार्जुन, मध्य प्रदेश में उज्जैन का महाकालेश्वर, मध्य प्रदेश में ओंकारेश्वर, उत्तराखंड राज्य में हिमालय का केदारनाथ, महाराष्ट्र में भीमाशंकर, उत्तर प्रदेश के वाराणसी का त्रयंबकेश्वर, झारखंड के देवगढ़ में या हिमाचल प्रदेश का बैजनाथ, गुजरात में द्वारका का नागेश्वर, तमिलनाडु में रामेश्वरम का रामेश्वर और महाराष्ट्र में औरंगाबाद का ग्रिशनेश्वर का नाम शामिल है।

महाकालेश्वर मंदिर की वास्तुकला – Architecture Of Mahakaleshwar Temple in Hindi

 

महाकालेश्वर मंदिर मराठा, भूमिज और चालुक्य शैलियों की वास्तुकला का एक सुंदर और कलात्मक मेल है। यह पवित्र मंदिर एक झील के पास स्थित है जो विशाल दीवारों से घिरे हुए विशाल आंगन में स्थित है। बता दें कि इस मंदिर में पांच मंजिले हैं, जिनमें से एक जमीन के अंदर स्थित है। यहां पर महाकालेश्वर की विशाल मूर्ति गर्भगृह (जमीन के अंदर) में स्थित है और यह दक्षिणामूर्ति है, जिसका मतलब होता है दक्षिण दिशा की ओर मुंह वाली मूर्ति। यह खास बाते सिर्फ महाकालेश्वर मंदिर में पाई जाती है।

महाकालेश्वर के इस सुंदर मंदिर के मध्य और ऊपर के हिस्सों में ओंकारेश्वर और नागचंद्रेश्वर के लिंग स्थापित हैं। लेकिन आप नागचंद्रेश्वर की मूर्ति दर्शन सिर्फ नाग पंचमी के अवसर पर ही कर सकते हैं क्योंकि केवल इसके इस खास मौके पर ही इसे आम जनता के दर्शन के लिए खोला जाता है। इस मंदिर के परिसर में एक बड़ा कुंड भी है जिसको कोटि तीर्थ के रूप में जानाजाता है। इस बड़े कुंड के बाहर एक विशाल बरामदा है, जिसमें गर्भगृह को जाने वाले मार्ग का प्रवेश द्वार है। इस जगह गणेश, कार्तिकेय और पार्वती के छोटे आकार के चित्र भी देखने को मिलते हैं। यहां पर गर्भगृह की छत को ढंकने वाली गूढ़ चांदी इस तीर्थ जगह की भव्यता को और भी ज्यादा बढ़ाती है। मंदिर में बरामदे के उत्तरी भाग में एक कक्ष है जिसमे भगवान श्री राम और देवी अवंतिका के चित्रों की पूजा की जाती है।

महाकालेश्वर मंदिर में समारोह – Festivals Celebrated In Mahakaleshwar In Hindi

 

बता दें कि महाकालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना और अभिषेक आरती सहित सभी अनुष्ठान पूरे साल नियमित रूप से किये जाते हैं। हम आपको इस मंदिर में मनाये जाने वाले सभी मुख्य त्योहार और होने समारोह के बारे में बताने जा रहे हैं।

नित्य यात्रा – Nitya Yatra In Mahakaleshwar In Hindi

बता दें कि नित्य यात्रा में शामिल होने वाले सभी भक्त यहां की पवित्र नदी शिप्रा में स्नान करते हैं और इसके बाद इस यात्रा में नागचंद्रेश्वर, कोटेश्वर, महाकलेश्वर, देवी अवंतिका, देवी हरसिद्धि और अग्रसेनवारा के दर्शन किये जाते हैं

महाकाल यात्रा- Mahakal Yatra In Mahakaleshwar In Hindi

इस यात्रा की शुरुआत रुद्रसागर से होती है। रुद्रसागर में स्नान के बाद भक्त देवों के दर्शन करते हैं।

सवारी (जुलूस) – Sawariin Mahakaleshwar In Hindi

महीने के हर सोमवार उज्जैन की सड़कों पर पवित्र सवारी जुलुस को कुछ विशेष समय पर निकला जाता है। भाद्रपद के अंधेरे पखवाड़े में यह सांवरी लाखों लोगो को आकर्षित करती है। इस यात्रा को बहुत ही धूमधाम के साथ निकाला जाता है। विजयदशमी उत्सव के दौरान यह जुलूस काफी रोमांचक और आकर्षक होता है।

महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती – Mahakaleshwar Temple Bhasm Aarti In Hindi

महाकालेश्वर मंदिर में रोजाना होने वाली भस्म आरती सबसे खास होती है। यह आरती सुबह होने से पहले होती हैं जो भगवान् शिव को जगाने के लिए की जाती है। इस धार्मिक अनुष्ठान के दौरान भगवान की पूजा घाटों से लाई गई पवित्र राख से की जाती है, आरती का आयोजन करने से पहले राख को लिंगम में लगाया जाता है। आरती में शामिल होने वाले लोगो की खुशी और उल्लास की सबसे बड़ी वजह यह होती है कि यह आरती एकमात्र महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में ही की जाती है। इस आरती में शामिल होने के टिकट ऑनलाइन उपलब्ध हैं और इसके लिए आपको एक दिन पहले आवेदन करना होगा। आवेदन केवल 12:30 बजे तक स्वीकार किए जाते हैं, जिसके बाद शाम 7:00 बजे सूची घोषित की जाती है।

भस्म आरती के लिए ऑनलाइन बुकिंग कैसे करें – Ujjain Mahakal Bhasm Aarti Online Booking In Hindi

अगर आप उज्जैन महाकालेश्वर के दर्शन के लिए जा रहे हैं और यहां की सबसे खास भस्म आरती में शामिल होना चाहते हैं तो बता दें कि यह आरती बहुत विशेष होती है। भस्म आरती महत्वता की वजह से कई घंटो पहले ही भक्त लाइन में लग जाते हैं, इसलिए आप इस आरती के लिए ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं। अगर आप भस्म आरती की ऑनलाइन बुकिंग करके आ रहे हैं तो अपने साथ किसी भी तरह की आईडी जैसे वोटर आइडी, आधार कार्ड या फिर ड्राईविंग लाईसेंस की फोटो कॉपी जरुर लेकर आयें। क्योंकि यहां की समिति आपको अपनी आईडी के आधार पर ही आरती में शामिल होने की अनुमति देगी।

 महाकालेश्वर मंदिर का समय – Mahakaleshwar Temple Timings In Hindi

सुबह की पूजा: सुबह 7:00- सुबह 7:30 बजे
मध्याह्न पूजा: सुबह 10:00 – सुबह 10:30 बजे
शाम की पूजा: शाम 5:00 बजे – शाम 5:30 बजे
श्री महाकालआरती: शाम 7:00 बजे – शाम 7:30 बजे
बंद करने का समय: रात 11:00 बजे

महाकालेश्वर उज्जैन घूमने का सबसे अच्छा समय -Best Time To Visit Mahakaleshwar Ujjain In Hindi

महाकालेश्वर, उज्जैन के सबसे खास तीर्थ स्थानों में से एक है। यह जगह श्रद्धालुओं के साथ यहां आने वाले पर्यटकों को भी आकर्षित करती है। अगर आप भी महाकालेश्वर या उज्जैन घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपको बता दें कि आपके लिए यहां जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक के महीनों का रहेगा। यह समय सर्दियों और वसंत का रहता है। इसलिए इससे अच्छा समय महाकालेश्वर जाने के लिए और कोई नहीं हो सकता। अप्रैल से लेकर जून तक यहां जाने से बचे, क्योंकि इन महीनों में यहां अत्यंत गर्मी पड़ती है।

 

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे | How To Reach Mahakaleshwar Jyotirlinga In Hindi.

आज आपको महाकाल के मंदिर “महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे” के बारे में बताने वाला हूं। भगवान भोलेनाथ का यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर की मान्यता भगवान शिव के अन्य मंदिरों की तुलना में काफी अलग है। आइए अब जान लेते हैं कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?

उज्जैन जिले के उज्जैन शहर में स्थित भगवान शिव के मंदिर जाने में आपको देश के किसी भी कोने से कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि इस मंदिर के आसपास ही रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और बस स्टेशन तीनों की सुविधा उपलब्ध है। आइए समय व्यतीत न करते हुए जानते हैं कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?

फ्लाइट से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे – How To Reach Mahakaleshwar Jyotirlinga Ujjain By Flight In Hindi.

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का सबसे करीबी एयरपोर्ट इंदौर में स्थित देवी अहिल्ल्याबाई होलकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जो इस मंदिर से करीब 57 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। देवी अहिल्या बाई होलकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट देश के बहुत सारे हवाई अड्डों जैसे मुंबई, बैंगलोर, अहमदाबाद, चंडीगढ़, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई से जुड़ा हुआ है। इंदौर में स्थित इस एयरपोर्ट से आपको भगवान भोलेनाथ के मंदिर में जाने के लिए बस, प्राइवेट टैक्सी और कैब की सुविधा आसानी से मिल जाएगी।

ट्रेन से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे – How To Reach Mahakaleshwar Jyotirlinga Ujjain By Train In Hindi.

उज्जैन जंक्शन भगवान भोलेनाथ के मंदिर का सबसे करीबी रेलवे स्टेशन है, जो भगवान शिव के मंदिर परिसर से मात्र 1.5 किमी. की दूरी पर स्थित है। उज्जैन जंक्शन देश के बड़े रेलवे स्टेशन जैसे दिल्ली, बेंगलुरु, चंडीगढ़, अहमदाबाद और लुधियाना आदि से डायरेक्ट जुड़ा हुआ है। उज्जैन जंक्शन से आप ऑटो के द्वारा महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग तक आसानी से पहुंच सकते हैं। आपको बता दें कि उजैन जंक्शन से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने के लिए 24 घंटे ऑटो की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

बस से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे – How To Reach Mahakaleshwar Jyotirlinga Ujjain By Bus In Hindi.

उज्जैन शहर में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग बस से जाने के लिए मध्य प्रदेश के सभी बड़े शहरों से बस की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। ये बसें मध्य प्रदेश रोडवेज की होती है। अगर आप चाहें तो प्राइवेट बस की सुविधा लेकर भी आसानी से उज्जैन पहुंच सकते हैं और भगवान भोलेनाथ का दर्शन कर सकते हैं। अगर आप मध्य प्रदेश के अलावा देश के दूसरे राज्यों से जुड़े हुए हैं और बस के माध्यम से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करना चाहते हैं, तो आप अपने शहर से उज्जैन के लिए बस पकड़ सकते हैं।

टैक्सी से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे – How To Reach Mahakaleshwar Jyotirlinga By Bus

प्राइवेट टैक्सी से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को विजिट करने के दो तरीके हैं। इन दोनों तरीके में से पहला तरीका यह है कि आप अपने शहर से ही प्राइवेट टैक्सी बुक करके महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने जा सकते हैं। रही बात दूसरे तरीके की आप मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में पहुंचने के बाद वहां से भी प्राइवेट टैक्सी लेकर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को विजिट कर सकते हैं।

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