ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर एक प्रतिष्ठित मंदिर है जहां भगवान कृष्ण को भगवान जगन्नाथ के रूप में पूजा जाता है। मंदिर से जुड़े कई अज्ञात रहस्य हैं, जैसे ध्वज की दिशा, लकड़ी की मूर्तियाँ, छाया की अनुपस्थिति, भगवान जगन्नाथ को परोसा जाने वाला महाप्रसाद, लहरों की आवाज़, और भी बहुत कुछ। ये रहस्य वर्षों से इतिहासकारों, वैज्ञानिकों, पुजारियों और आम लोगों को आकर्षित करते रहे हैं।
पुरी जगन्नाथ मंदिर : जगन्नाथ मंदिर भारत के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। जगन्नाथ मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। जगन्नाथ मंदिर में भगवान कृष्ण को भगवान जगन्नाथ के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर ओडिशा के पुरी में स्थित है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई भगवान बलभद्र और छोटी बहन देवी सुभद्रा के साथ मौजूद हैं। इस मंदिर से कई अबूझ विज्ञान, रहस्य और चमत्कार जुड़े हुए हैं जिनका कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। इतिहासकार, वैज्ञानिक, यहां तक कि पुजारी और आम लोग इतने सालों से इन रहस्यों को सुलझाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह अब तक एक रहस्य ही बना हुआ है।
आइए जानते हैं क्या हैं वो रहस्य:-
ध्वज की दिशा-जिस दिशा में हवा चलती है उसके विपरीत दिशा में जगन्नाथ मंदिर के शीर्ष पर स्थित झंडा लहराता है। 1800 साल पुरानी परंपरा, झंडा बदलने के लिए हर दिन एक पुजारी जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर चढ़ता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि यह अनुष्ठान एक दिन के लिए भी छोड़ा गया तो मंदिर 18 वर्षों तक बंद रहेगा। यह मंदिर 45 मंजिला इमारत जितना ऊंचा है। इसके लिए किसी सुरक्षात्मक गियर का उपयोग नहीं किया जाता है और इसे नंगे हाथों से किया जाता है।
कोई छाया नहीं – दिन का कोई भी समय हो, आसमान में सूरज कहीं से भी चमक रहा हो, मंदिर की कोई छाया नहीं पड़ती। अब यह एक वास्तुशिल्प आश्चर्य है या बस एक चमत्कार, यह अभी भी अज्ञात है।
अबधा महाप्रसादम – महाप्रसाद भगवान जगन्नाथ को 5 चरणों में परोसा जाता है और इसमें 56 स्वादिष्ट व्यंजन होते हैं । यह दो प्रकार का होता है, सुखिला और शंखुड़ी। सुखिला में सभी सूखी मिठाइयाँ शामिल होती हैं और शंखुड़ी में चावल, दाल और अन्य वस्तुएँ होती हैं। यह भक्तों के लिए आनंद बाज़ार में उपलब्ध है, जो मंदिर परिसर में ही स्थित है और इसका स्वाद दिव्य है।
महाप्रसादम की तैयारी -महाप्रसाद हजारों पुजारियों द्वारा तैयार किया जाता है और 7 मिट्टी के बर्तनों को एक के ऊपर एक रखा जाता है और भोजन को लकड़ी के ऊपर पकाया जाता है और सबसे ऊपर वाले बर्तन में भोजन पहले पकता है उसके बाद बाकी बर्तन। यह एक और पहेली है जिसे सुलझाना है।
लहरों की आवाज – मंदिर के अंदर कदम रखते ही आपको समुद्र की आवाज सुनाई देना बंद हो जाती है। मिथक के अनुसार, देवी सुभद्रा की इच्छा थी कि मंदिर शांति का स्थान हो, और उन्हें प्रसन्न करने के लिए, मंदिर समुद्र की आवाज़ को बंद कर देता है।
मंदिर के ऊपर कुछ भी नहीं उड़ता -जैसे ही आप आकाश में देखते हैं, आप पक्षियों को ऊंची उड़ान भरते या पेड़ों की चोटियों पर आराम करते हुए पाएंगे। पुरी के जगन्नाथ मंदिर के मामले में, मंदिर के गुंबद के ऊपर एक भी पक्षी नहीं देखा जा सकता है। ऊपर कुछ भी नहीं मंडराता, कोई हवाई जहाज़ नहीं, यहाँ तक कि कोई पक्षी भी नहीं। इसका अभी तक कोई तार्किक स्पष्टीकरण नहीं है.
चक्र की दिशा – मंदिर के शीर्ष पर भाग्य चक्र या चक्र है जिसका वजन लगभग एक टन है। सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि जो भी दर्शक पुरी में किसी भी स्थान पर ऊंचाई से चक्र को देखता है, वह हमेशा देखता है कि चक्र का मुख उसकी ओर ही है। इससे भी अधिक रहस्यमयी बात यह है कि 12वीं शताब्दी के लोगों ने इतनी ऊंचाई पर बने मंदिर के शीर्ष पर इतना भारी चक्र कैसे रख दिया।
प्रसादम का रहस्य –हर साल लाखों-करोड़ों तीर्थयात्री इस पवित्र मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। रथयात्रा या जगन्नाथ पूजा के दिनों में सामान्य दिनों की तुलना में अधिक तीर्थयात्री आते हैं। लेकिन हर दिन उतनी ही मात्रा में खाना ( जगन्नाथ प्रसादम ) पकाया जाता है। किसी भी दिन भोजन बर्बाद नहीं होता और कोई भी भक्त बिना खाए नहीं रहता।
रिवर्स सी ब्रीज– यह एक प्राकृतिक घटना है जो आमतौर पर दिन के समय तटीय क्षेत्रों में होती है, हवा समुद्र से जमीन की ओर चलती है और शाम के समय यह जमीन से समुद्र की ओर चलती है। लेकिन पुरी में यह उलटे रूप में होता है।
जगन्नाथ पुरी कैसे जाएं | How To Reach Jagnnath Puri In Hindi.
आज आप “जगन्नाथ पुरी कैसे जाएं” के बारे में सभी जानकारी प्राप्त कर लेंगे, लेकिन इसके लिए आपको इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ना पड़ेगा। भगवान श्री जगन्नाथ का यह मंदिर उड़ीसा के पुरी में स्थित है, जहां प्रत्येक वर्ष करोड़ों लोग अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए जाते हैं। आइए जानते हैं “जगन्नाथ पुरी कैसे जाएं” से संबंधित सभी जानकारियों के बारे में-
जगन्नाथ धाम कैसे पहुंचे – How To Reach Jagnnath Dham In Hindi.
उड़ीसा के जगन्नाथ धाम की गिनती भारत के चार धामों में भी की जाती है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामना लिए भगवान श्री जगन्नाथ की शरण में जाते हैं। अगर आप भी भगवान श्री जगन्नाथ के भक्त हैं, तो आप बस, कार, बाइक, फ्लाइट और ट्रेन इन सभी के द्वारा बिना किसी तकलीफ के जगन्नाथ धाम पहुंच सकते हैं और भगवान श्री जगन्नाथ के दर्शन कर सकते हैं। आइए जानते हैं “जगन्नाथ धाम कैसे पहुंचे” के बारे में-
फ्लाइट से जगन्नाथ पुरी कैसे जाएं – How To Reach Jagnnath Puri By Flight In Hindi.
जगन्नाथ मंदिर का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर एयरपोर्ट है, जहां से जगन्नाथ मंदिर की दूरी करीब 61 किमी. है। भुवनेश्वर एयरपोर्ट से पूरी जाने के लिए आप बस, टैक्सी या ट्रेन इनमें से किसी भी एक साधन की सुविधा ले सकते हैं। भुवनेश्वर एयरपोर्ट से पुरी जाने वाली बस में ₹ 80 का किराया लगता है।
ट्रेन से जगन्नाथ पुरी कैसे जाएं – How To Reach Jagnnath Puri By Train In Hindi.
अगर आप जगन्नाथ पुरी यानी जगन्नाथ धाम जाने के लिए ट्रेन से सफर करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको यह देखना होगा कि आपके या आपके आसपास के शहर से पुरी रेलवे स्टेशन केलिए ट्रेन की सुविधा उपलब्ध है या नहीं। अगर आपके शहर से पुरी के लिए डायरेक्ट ट्रेन मिल जाती है, तो आप डायरेक्ट पुरी के लिए ट्रेन की टिकट बुक करा लें, लेकिन अगर आपके या आपके आसपास के शहर से पुरी के लिए एक भी ट्रेन ना मिले, तो आप भुवनेश्वर के लिए ट्रेन की टिकट बुक करा लें। भुवनेश्वर के लिए आपको देश के विभिन्न बड़े शहरों से डायरेक्ट ट्रेन आसानी से मिल जाएगी।
पुरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर की दूरी मात्र 3-3.3 किमी. है, जिसे आप कैब लेकर आसानी से कंप्लीट कर सकते हैं। भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर की दूरी करीब 60 किमी. है और इस दूरी को तय करने के लिए आपको ट्रेन, बस और टैक्सी तीनों साधनों की उपलब्धि बहुत ही आसानी से मिल जाएगी।
बस से जगन्नाथ पुरी कैसे जाएं – How To Reach Jagnnath Puri By Bus In Hindi.
जब भी किसी फेमस पर्यटन स्थल, धार्मिक स्थल या किसी फेमस जगह पर जाने की बात होती है, तो सबसे पहले हमारे मन में बस का ख्याल आता है, क्योंकि बस एक ऐसी साधन होती है, जो कम खर्च में किसी भी स्थान पर लेकर जा सकती है और साथ ही इसका इस्तेमाल आप लोकल साइट्स को विजिट करने के लिए भी कर सकते हैं।
ऐसे ही अगर बस के माध्यम से जगन्नाथ मंदिर जाने के बारे में बताया जाए, तो आपको उड़ीसा के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ इसके आसपास के दो तीन राज्यों से भी पूरी जाने के लिए बस आसानी से मिल जाएगी। फिर भी मैं अपने सभी पोस्ट की तरह इस पोस्ट में भी आपको यही सुझाव दूंगा कि आप बस द्वारा 1000 किमी. से अधिक दूरी तय न करें।
बाइक और कार से जगन्नाथ पुरी कैसे जाएं – How To Reach Jagnnath Puri By Bike And Car In Hindi.
जैसा कि आप जानते हैं कि गूगल मैप लॉन्च हो जाने से आज दुनिया के किसी भी कोने में बिना किसी तकलीफ के पहुंचा जा सकता है। वैसे ही अगर आप अपनी बाइक या कार द्वारा देश के किसी भी स्थान से जगन्नाथ धाम की यात्रा करना चाहते हैं, तो आप गूगल मैप की सहायता से जगन्नाथ धाम आसानी से पहुंच सकते हैं, लेकिन रूट की संतुष्टि के लिए आप लोकल लोगों से पूछताछ जरूर कर लें, ताकि आगे आपको कोई दिक्कत ना हो सके।