हिमाचल प्रदेश में स्थित डगशाई कोई आम पर्यटक गांव नहीं है। इसकी स्थापना 1847 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह से पांच गांवों को मुफ्त में हासिल करके की थी। इन गांवों के नाम थे डब्बी, बधतियाला, चुनावड़, जवाग और डगशाई। सोलन से 11 किलोमीटर दूर, समुद्र तल से 5,600 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित, डगशाई भारत का एक बहुत पुराना छावनी शहर है, और माना जाता है कि यह एक भूतिया शहर है! अतीत में, मुगल इस क्षेत्र में अपराधियों को मृत्युदंड के लिए भेजते थे, और इसलिए, इस शहर का नाम “दाग–ए–शाही” पड़ा, जिसका अर्थ है “शाही दाग।” समय के साथ नाम बिगड़ गया और डगशाही हो गया। बाद में, ब्रिटिश शासकों ने इसे एक सैन्य छावनी बना दिया
दागशाई में पुराने भवन, कुछ स्कूल, स्थानीय घर और क़ब्रिस्तान देखने को मिलेंगे। यहां मौजूद क़ब्रिस्तान को लोग अच्छा और बुरा दोनों मानते हैं, हालांकि इससे जुड़ी एक कहानी भी है। ऐसा बताया जाता है कि यह क़ब्रिस्तान भारत में ब्रिटिश शासन के समय का है। उस वक़्त मेजर जॉर्ज वेस्टन नाम का एक ब्रिटिश व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ दागशाई में रहता था। मेजर एक मेडिसिन प्रैक्टिशनर थे, और उनकी पत्नी नर्सिंग सहायक के तौर पर काम करती थी। दोनों बच्चे की ख़्वाहिश रखते थे, लेकिन काफ़ी समय से उन्हें कोई ख़ुशख़बरी नहीं मिली। बच्चे की चाहत में दोनों की मुलाकात एक संत से हुई, जिसने उन्हें ताबीज के रूप में आशीर्वाद दिया था। इसके तुरंत बाद ही जॉर्ज की पत्नी मैरी ने मां बनने की खुशी सुनाई, हालांकि वर्ष 1909 में प्रेग्नेंसी के 8वें महीने में उनकी मृत्यु हो गई। जॉर्ज ने अपनी पत्नी और बच्चे के लिए एक सुंदर सी क़ब्र बनवायी थी। क़ब्र में इस्तेमाल किया गया संगमरमर इंग्लैंड से मंगवाया गया था।
मैरी की मौत की ख़बर आसपास रहने वाले लोगों तक पहुंच गई थी। मैरी की मृत्यु के बाद लोगों ने मान लिया था कि जो भी गर्भवती महिला क़ब्र से संगमरमर का टुकड़ा ले जाएगी, उसे बेटा पैदा होगा। बेटे के लालच में लोगों ने वहां से संगमरमर लाना शुरू कर दिया। जिसकी वजह से मैरी की क़ब्र की ख़ूबसूरती ख़राब होती चली गई। लोगों का मानना है कि यहां मैरी की आत्मा घूमती है। साल 1849 में बनी इस जेल में कई लोगों की मौत हुई और यातनाएं दी गई हैं। इसलिए यहां का माहौल नकारात्मक माना जाता है। इस जेल में लोगों पर बहुत ही ज़ुल्म किए जाते थे, यहां भारतीयों के अलावा आयरिश लोगों को भी रखा जाता था। ख़ास बात है कि इस जेल में महात्मा गांधी भी वक़्त बिता चुके हैं। वहीं दागशाई की ये जेल हिमाचल प्रदेश में कालापानी के नाम से मशहूर है।