नमस्कार, मैं हूं आपका मेजबान या दोस्त #अविरल जैन। आपका घूमोग भरके ब्लॉग में स्वागत करता हूं। माई #अविरल जैन अपने इस ब्लॉग के जरिए देश के ऐसे अनछुई जगहो को देखना चाहता हूं। जो भारत देश के इतिहास को याद करता है आज भी अपने में समाये हुए है। भारत का इतिहास था कहानी देखना चाहता हूँ। #यात्रा के वीडियो देखने के लिए अभी #ghumog.com को सब्सक्राइब करें.
हिमालय पर्वतमाला के धौलाधर पर्वत श्रृंखला में स्थित खज्जियार एक पठारी क्षेत्र है। हिमालय के विशाल पहाड़ो में स्थित होने के बावजूद भी खज्जियार में घास के मैदान बने हुए है। इन घास के मैदानों की वजह से खज्जियार को भारत का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित खज्जियार देवदार के घने जंगलों के बीच में स्थित भारत का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है।डलहौजी घूमने जाने वाले लगभग सभी यात्री अपनी बकेट लिस्ट में खज्जियार का नाम जरूर लिखते है। डलहौजी से खज्जियार की दूरी मात्र 24 किलोमीटर है और समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 1900 मीटर (6233 फ़ीट) है।खज्जियार को मिनी स्विट्जरलैंड कहे जाने के पीछे एक छोटी सी कहानी भी है 07 जुलाई 1992 को स्विट्जरलैंड के वाइस काउंसलर विली पी. ब्लेजर जो की भारत में स्विट्जरलैंड के चांसरी प्रमुख भी थे, इन्होंने भारत में अपनी खज्जियार यात्रा के समय सबसे पहले इस जगह को “मिनी स्विट्जरलैंड” कह कर बुलाया था।विली पी. ब्लेजर ने खज्जियार में एक साइन बोर्ड पर खज्जियार से स्विटरजरलैंड की राजधानी बर्न की पैदल यात्रा की दूरी 6194 किलोमीटर (3849 Mile) भी अंकित की थी। खज्जियार विश्व के 160 ऐसे स्थानों में से है जिनकी स्थलाकृतिक समानता स्विट्जरलैंड की स्थलाकृतिक परिस्थितियों से हूबहू मिलती है।
खज्जियार झील:-
खज्जियार में पर्यटकों के आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है यहाँ पर स्थित खज्जियार झील। खज्जियार के घास के मैदानों के बीच में स्थित झील की वजह से ही, खज्जियार काफ़ी हद तक स्विटरजरलैंड के मैदानी इलाकों के जैसा दिखाई देता है। अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिताने के लिए यह झील सबसे उपयुक्त जगह है।विशाल देवदार और चीड़ के पेड़ो से घिरी हुई यह झील प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफर्स के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। झील के पास से सूर्योदय के बहुत खूबसूरत दृश्य दिखाई देते है देवदार और चीड़ के पेड़ो से छन्न कर आती हुई सूर्य की रोशनी आपको एक अलग ही तरह के सुखद सूर्योदय होने का एहसास करवाती है।झील के किनारे पर आप सूर्योदय के अलावा कई प्रकार की एडवेंचर गतिविधियों का भी आनन्द उठा सकते है जैसे – घुड़सवारी, जॉर्बिंग, पैराग्लाइडिंग और ट्रेकिंग इन गतिविधियों के अलावा यहाँ पर खाने-पीने के लिए भी छोटे-बड़े रेस्टोरेंट बने हुए है।
खज्जी नाग मंदिर खज्जियार:-
खज्जियार झील से थोड़ी दूरी पर ही स्थित है खज्जी नाग मंदिर, इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में चंबा के तत्कालीन शासक पृथ्वी सिंह जी ने करवाया था। मंदिर के शिखर पर बने हुए स्वर्ण गुम्बन्द की वजह से खज्जी नाग मंदिर को “स्वर्ण देवी मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है।मंदिर के भीतरी भाग में महाभारत काल के पांडवों ओर कौरवों के भित्ति चित्र भी उकेरे गए है। मंदिर के गृभगृह का निर्माण करने के लिए लकड़ी का उपयोग किया गया है, गृभगृह निर्माण के काम में ली गई लकड़ी पर बहुत ही महीन नक्काशी का काम किया गया है। मंदिर के गृभगृह में नाग देवता की विग्रह को स्थापित किया गया है।नाग देवता की मूर्ति के अलावा मंदिर परिसर में कई साँपो की मूर्तियाँ भी देखने के लिए मिलती है। नाग देवता और साँपो की मुर्तियों के अलावा मंदिर के अंदर भगवान शिव और हिडिम्बा की प्राचीन मूर्तियाँ भी लगी हुई है।
कैलाश व्यू पॉइंट खज्जियार:-
कैलाश व्यू खज्जियार में एक ऐसा पीक पॉइंट है जहाँ से आप को कैलाश पर्वत के अविस्मरणीय दर्शन प्राप्त हो सकते है। पूरे विश्व में रहने वाले लगभग सभी हिंदुओं का यह विश्वास है की कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है। हिमाचल प्रदेश में डलहौजी और खज्जियार ऐसी जगहों में से एक है जहाँ से आप पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन कर सकते है।
पांच पांडव ट्री खज्जियार:-
पांच पांडव ट्री खज्जियार आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है। इस पेड़ की जड़ से 6 अलग-अलग टहनियाँ निकल रही है। स्थानीय निवासियों में इस पेड़ से जुड़ी हुई एक बहुत ही प्रबल मान्यता है।खज्जियार के स्थानीय निवासियों के अनुसार इस पेड़ की 6 टहनियाँ महाभारत के समय के पांच पांडवों की तरफ इशारा करते है और इस पेड़ की छठी टहनी पांडवो की धर्म पत्नी द्रौपदी की तरफ इशारा करती है। इस पेड़ से कुछ ही किलोमीटर दूर डलहौजी और खज्जियार रोड पर भी एक देवदार का पेड़ है इस पेड़ के कुल 13 टहनियाँ निकली हुई है।इन 13 टहनियों की वजह से इस पेड़ को “मदर ट्री” भी कहा जाता है।
तिब्बती हस्तशिल्प केंद्र:-
स्थानीय हस्तशिल्प से निर्मित वस्तुयें खरीदने के लिए खज्जियार का तिब्बती हस्तशिल्प केंद्र पर्यटकों के लिए उपयुक्त जगह है। खज्जियार के तिब्बती हस्तशिल्प केंद्र में हाथों से बने हुए कालीन और वॉल-हैंगिंग पर्यटकों द्वारा बेहद पसंद किये जाते है।इसके अलावा तिब्बती संस्कृति से संबंधित कई तरह की वस्तुयें भी आप को तिब्बती हस्तशिल्प केंद्र में बड़ी आसानी से मिल सकती है। तिब्बती शॉल और तिब्बत के स्मृति चिन्हों को खरीदने के लिए यह बाजार खज्जियार में आदर्श स्थान माना जाता है। तिब्बती हस्तशिल्प केंद्र में आपको घर की सजावट से जुड़ा हुआ हर तरह का सामान आपको बड़ी आसानी से मिल जाएगा।अगर आप चाइनीज़ या फिर फ़ास्ट फ़ूड खाना पसंद करते है तो इस बाजार के पास में मैग्गी, मोमोज, नूडल्स और कई तरह के स्वाद वाले सुप के रेस्टोरेंट और फ़ास्ट फ़ूड शॉप्स उपलब्ध मिल जाएगी। खज्जियार में खरीदारी करने और कुछ घंटे बिताने के लिए खज्जियार का तिब्बती हस्तशिल्प केंद्र एक आदर्श जगह माना जाता है।
नाइन होल गोल्फ कोर्स खज्जियार:-
अगर आप एकदम खुले मन से खज्जियार या फिर डलहौजी घूमने के लिए आये है तो आप को खज्जियार के पास में बने हुए नाइन होल गोल्फ कोर्स जरूर जाना चाहिए। वैसे तो गोल्फ दुनिया के सबसे महंगे खेलों में आता है|लेकिन खज्जियार में आप इस शानदार खेल का मजा ले सकते है। खज्जियार के मैदानी इलाकों में बना हुआ यह गोल्फ का मैदान आप को स्विटरजरलैंड में होने का एहसास करवाता है।
एच पी स्टेट हैंडीक्राफ्ट्स:-
तिब्बत बाजार के जैसे ही खज्जियार में एच पी स्टेट हैंडीक्राफ्ट्स सेंटर बना हुआ है। इस बाजार में आपको तिब्बत की पारम्परिक वस्तुओं के अलावा हिमाचल प्रदेश के हस्तनिर्मित उत्पाद भी उचित मूल्य पर उपलब्ध मिल जाएंगे।इस बाजार में आप को हस्तनिर्मित वस्तुओं में कालीन और वॉल-हैंगिंग के अलावा स्मृति चिन्ह, ऊनी कपड़े, बर्तन, फर्नीचर, गहने और धातु के बर्तन भी खरीदे जा सकते है। हिमाचल प्रदेश के ऊनी कपड़े पूरे स्थानीय निवासियों और भारत के अन्य मैदानी इलाकों में बहुत लोकप्रिय है।
धौलाधर रेंज:-
अगर आप को ट्रैकिंग पसंद है और ऊँचे ऊँचेपहाड़ों में हाईकिंग का शौक है तो आप खज्जियार से डलहौजी के रास्ते से हिमालय पर्वतमाला की धौलाधर रेंज में ट्रैकिंग करने के लिए जा सकते है। वैसे तो धौलाधर रेंज के बर्फ से ढके हुए पहाड़ आप को खज्जियार से बड़ी आसानी से दिखाई दे जाते है लेकिन इन पहाड़ो में ट्रेकिंग करने का मजा कुछ अलग ही स्तर का होता है। खज्जियार से धौलाधर रेंज तक पहुंचने के लिए आप डलहौजी के रास्ते से बस या फिर टैक्सी के द्वारा जा सकते है।
डल झील धर्मशाला:-
अगर आप को कश्मीर की जैसी खूबसूरत वादियां या फिर कश्मीर के जैसी डल झील को देखना है तो आप को खज्जियार से 125 किलोमीटर दूर धर्मशाला के पास स्थित डल झील जरूर देखने जाना चाहिए। धर्मशाला के पास में स्थित डल झील हूबहू कश्मीर की डल झील के जैसी दिखाई देती है।इस झील का प्राकृतिक वातावरण इतना लुभावना है की आप एकबार यह भूल जाओगे की आप हिमाचल प्रदेश में नहीं बल्कि आप कश्मीर में है। प्राकृतिक दृश्य, फोटोग्राफी और बोटिंग के लिए डल झील पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थान माना जाता है।
चर्च ऑफ स्कॉटलैंड चंबा:-
डलहौजी, खज्जियार और चंबा के आसपास के क्षेत्रों में अंग्रेजों ने औपनिवेशिक समय में काफी समय बिताया है। अपने शासनकाल के समय यहाँ रहते हुए अंग्रेजों ने इस क्षेत्र में कई तरह की इमारतों का निर्माण करवाया था।प्रशासनिक इमारतों के अलावा अंग्रेजों ने इस क्षेत्र के आसपास बहुत सारे चर्च का भी निर्माण करवाया था। इस क्षेत्र में बनी हुई लगभग सभी इमारतें और चर्च ब्रिटिश वास्तुकला से प्रभावित है। खज्जियार से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चर्च ऑफ स्कॉटलैंड भी औपनिवेशिक काल में बना हुआ एक चर्च है जिसका निर्माण 1899 में तत्कालीन राजा शाम सिंह द्वारा करवाया गया था।चर्च ऑफ स्कॉटलैंड का निर्माण कार्य 6 वर्षों तक चला था और 1905 में इसका निर्माण कार्य पूरा हो गया था। ऐसा कहा जाता है की इस चर्च का निर्माण स्कॉटिश भिक्षु डॉ। M’Clymont की देखरेख में पूरा हुआ था। यह चर्च इस क्षेत्र में औपनिवेशिक काल में बनी हुई सबसे अच्छी इमारतों में से एक माना जाता है।
खज्जियार कैसे पहुँचे
हवाई मार्ग से:-
ऊँचाई पर स्थित होने की वजह से खज्जियार में कोई एयरपोर्ट नहीं है। आप अगर फ्लाइट से खज्जियार आना चाहते है तो गग्गल एयरपोर्ट से आप खज्जियार बड़ी आसानी से पहुँच सकते है। गग्गल एयरपोर्ट को कांगड़ा एयरपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। खज्जियार से गग्गल एयरपोर्ट की दूरी 110 किलोमीटर है।गग्गल से आप डलहौजी और चंबा के रास्ते से खज्जियार बहुत आसानी से पहुँच सकते है।
रेल मार्ग से:-
आप अगर ट्रैन से खज्जियार आने का प्रोग्राम बना रहे है तो पठानकोट का रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। पठानकोट रेलवे भारत के प्रमुख शहरों के रेलवे स्टेशन से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। खज्जियार से पठानकोट की दूरी 96 किलोमीटर है। यहाँ से आप बस और टैक्सी के द्वारा बहुत आसानी से खज्जियार पहुँच सकते है।
सड़क मार्ग से:-
डलहौजी और चंबा जैसे शहरों से खज्जियार सड़क मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इन शहरों से आप हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट सर्विस की बसों से आप खज्जियार बहुत आसानी से पहुँच सकते है। आप चाहे तो अपने निजी वाहन या फिर टैक्सी के द्वारा भी खज्जियार बहुत आसानी से पहुँच सकते है।
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